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मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

11दिसम्बर1931:ओशो जन्म

"अन्यांश पटेल तुम कांग्रेसी हो गये.इससे तुम्हारा कितना उद्धार होगा?"



" अन्या ! तुम भी,अभी तक मैने तुम जैसी जवान लड़की नहीँ देखी.अभी से आत्मसाक्षात्कार के चक्कर मेँ पढ़ गयीँ. यह तुम्हारा दोष नहीँ,स्वामी सागर मग्न से तुम्हारे मोह का परिणाम है.सारी दुनिया उसे पागल मानती है,तू जैसे कुछ लोग ही उसके चक्कर मेँ पड़े हैँ."




"तुम्हारे कांग्रेसी ब्राह्मण यदि जातिपाति - छुआ छूत आदि का विरोध करेँ तो मैँ भी कांग्रेसी हो जाऊँ."



"कांग्रेसी ब्राह्मण कोई लिए थोड़े ही है?"



"तो ऐसे कांग्रेसियोँ से कोई मतलब नहीँ."





" गोखले के'भारत सेवक समाज ' से तुम जुड़ी हो ,यह इतिहास मेँ गुम हो जाएगा."




"जाओ तुम गांधी के सविनय अवज्ञा आन्दोलन मेँ अहुतियाँ लगाओ जाकर.(फिर मुस्कुराना)"



12नवम्बर 1930 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन प्रारम्भ हुआ.दूसरी ओर कुचबाड़ा गाँव के समीप जंगल मेँ स्थित एक मठ मेँ स्वामी सागर मग्न अन्या भारती को बता रहे थे कि वह अब इस दुनिया मेँ आने वाला है. 10या11दिसम्बर तक वह आ जाएगा.



अन्या भारती जब चली गयी तो एक अधेड़ साधु बोला -


"आप इन शूद्र जाति के लोगोँ को मुँह क्योँ लगाते हो ? "



"आप शूद्र हो कि अन्या ?आप जन्म जात ब्राह्मण हो कर भी शूद्रता का प्रदर्शन करते हो, आप ईमानदारी से अन्वेषण करो कि अन्या क्या शूद्रता का कभी प्रदर्शन किया है?और अपने मन मेँ जरा झांको कितनी शूद्रता भरे पड़े हो?वह अभी तक हर स्तर पर खरी उतरी है."



11दिसम्बर 1931को मध्य प्रदेश के एक गाँव मेँ एक बालक का जन्म हुआ.एक पागल बाबा उसके मोहल्ले मेँ तथा स्वामी सागर मग्न के पास आने जाने लगा .



पहला गोलमेज सम्मेलन 19 जनवरी को समाप्त हो चुका था.जिसकी असफलता का श्रेय हिन्दू महासभा व सिक्ख प्रतिनिधियोँ दिया जा रहा था.



सम्मेलन की समाप्ति पर प्रधानमन्त्री द्वारा घोषणा मेँ कहा गया कि भारत मेँ अखिल भारतीय संघ को स्थापित किया जाए.भारतीय शासन का उत्तरदायित्व विधान सभाओँ को दिया जाएगा,साथ ही अल्पसंख्यकोँ के हितोँ की सुरक्षा हेतु उचित व्यवस्था की जाएगी.प्रतिरक्षा,विदेश विभाग तथा संकटकालीन अधिकारोँ को छोड़ कर अन्य सभी मामलोँ मेँ केन्द्र की कार्यकारिणी को व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी बनाया जाएगा.प्रान्तो मेँ पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाएगी.साम्प्रदायिक समस्या के सम्बन्ध मेँ आशा व्यक्त की गई कि विभिन्न सम्प्रदाय इसका निवारण स्वयं कर लेँगे .



"हूँ,सम्प्रदाय स्वयं निवारण कर लेँगे?"


एक अन्य युवती अन्या भारती से बोली-" अन्या! दुनिया को एक ऐसे ग्रन्थ की आवश्यकता है जिसमेँ विश्व के सभी सम्प्रदायोँ के समान तत्व व महापुरुष शामिल होँ ."





"स्वामी जी कहते हैँ कि कुचबाड़ा मेँ जो नवजात शिशु है न,उसके प्रवचनोँ का संकलन कुछ ऐसा ही होगा"



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