अब परिन्दोँ को चहचहाना होगा
फिर से गुलशन को सजाना होगा.
ये नदी दूर जाकर बहक जायेगी
इस पर एक बाँध बनाना होगा.
ये धुआँ जो निकल रहा है विकास का
इससे आबोहवा को बचाना होगा.
बचपन मेँ ये बच्चे जवान न होँ
इन्हेँ टेलीविजन से हटाना होगा.
कुतर रहे है इस देश को जो
उन चुहोँ को अब भगाना होगा.
किसने उसकी रोटी छिपा रखी है
अब इस राज को बताना होगा.
अशोक कुमार वर्मा'बिन्दु'
आदर्श इण्टर कालेज
मीरानपुर कटरा, शाहजहाँपुर,उप्र
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