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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

ये है हमारे देश का धा���्मिक चरित्र-दलित रिट���यर हुआ तो रूम को �-ोमू���्र से धोया! and more

दलित जब रिटायर हुआ तो उसके रुम को गौमूत्र से धोया गया ,यह है हमारे सनातन धर्म के संवाहक हिन्दू समाज का चरित्र. जब मैं कहता हूँ कि सनातन ऋग्वैदिक दर्शन के संवाहक मुस्लिम तो हो सकते हैं लेकिन वर्तमान सगुण व जातिवादी हिन्दू नहीं तो ये हिन्दू बौखला पड़ते हैं.जब मैं कहता हूँ कि यदि मुझसे कहा जाए कि हिन्दू व मुस्लिम शब्द में से किस शब्द को स्वीकार करना चाहेंगे तो मेरा उत्तर होगा-मुस्लिम.अनेक सबूत कह रहे है कि वर्तमान सृष्टि में आर्य ही मानव सभ्यता व संस्कृति के जनक हैं और आर्य के गुणों में मैँ हिन्दू को शामिल नहीं कर सकता.जैन,बुद्ध,ईसा,मुस्लिम,आदि को आर्य गुण माना जा सकता है.



एक समाचार और सामने आया कि मुस्लिम देश में सबसे सुरक्षित हैँ.सही समाचार है कि देश में सबसे सुरक्षित हैं मुस्लिम .मैं अपने आस पड़ोस में देखता हूँ-हिन्दू व मुस्लिम समाज(नेटवर्क) , वास्तव में मुस्लिम समाज एक नेटवर्क की विशेषताएं रखता है.एक सच्चा ,उदार ,निर्गुण(समृद्ध विचार व भावना आधारित),आदि मय हिन्दू अपने परिवार में ही अलग थलग पड़ जाता है,ऐसा हिन्दू परिवार हिन्दू समाज में.



मेरे जीवन मेँ मेरे लिए मुस्लिम ही मेरे अच्छे मित्र साबित हुए हैं.और फिर मुसलमान का अर्थ है अपने ईमान पर पक्का होना,सब नहीं तो कुछ तो है मुस्लिम समाज में जो कबीरों को आश्रय देना अब भी जानते हैं.मेरी तन्हाईयां भी मुस्लिम समाज में मिटी है. रोजमर्रे की जिन्दगी में सामूहिकता के लिए त्याग की भावना मैने मुस्लिमों में देखी है.दो साल पूर्वतक अपनी शादी तय करने की परिस्थितियों के दौरान मेरे दहेजहीनता,स्पष्टता,,ईमानदारी,लक्ष्य दर्शन की अभिव्यक्ति ,शादी बाद सामने आने वाले मतभेदों के मद्देनजर न्यूनतम साझा कार्यक्रम की अभिव्यक्ति,अपने विचारों की स्पष्टता,आदि गुणों के कारण अपने परिवार,जाति,हिन्दू समाज में अलग थलग पड़ा ही , शादी की छोंड़ो मित्रता की दृष्टि से तक कोई युवती मुझे स्वीकार करने वाली न थी,जो थीं भीं वे गैरहिन्दू.मेरे मानवीय विचारों,प्रेम की वास्तविक परिभाषा से सब असन्तुष्ट थीं.मैने गैरहिन्दू समाज में इंसान को इंसान के करीब ईमानदारी के साथ देखा है.



वास्तव में मुस्लिम सुरक्षित ज्यादा है.इसका मुख्य कारण उनकी एकता व समूह के लिए त्याग की भावना है.हिन्दू हमें हिन्दू भावना से दिखता नहीं.वह हिन्दू होने के नाते हिन्दू के साथ रोजमर्रे की जिन्दगी मेँ क्या करता है?गैरहिन्दू समाज इतना विचलित नहीं है जितना कि हिन्दू समाज.उसे अभी हजारों दयानन्द व विवेकानन्द की आवश्यकता है.वर्तमान जो संत हैं भी उनमें पुनर्जागरण के लिए ईमानदारी कहाँ?


सारी....


इस वक्त अपनी एनर्जी अन्ना हजारे के मिशन पर लगानी है.

क्या आप हैं हमारे साथ ?


2 टिप्‍पणियां:

आशुतोष की कलम ने कहा…

माफ़ कीजियेगा आप पुरे सम्मान के साथ इस बकवास से में सहमत नहीं हूँ..
जरा कश्मीर जाएँ एकमात्र मुस्लिम बहुल प्रदेश कितनी शांति है जम्मू के आगे बढ़ते ही शायद पता चल जाए..
............
हाँ आप की गौमूत्र से शुद्धिकरण वाली बात आज के परिवेश में निंदनीय है
ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं हो सकता है आज का तथाकथित सेकुलर समाज आप के साथ हो..

आज बधाई नहीं कहा सकता इस लेखन को..

arvind ने कहा…

bilkul satik...ham aapke saath hain.