आज हम सुबह उठ कर अपने कागजों को लौट पोट करने लगे थे।कागजों को छटने लगे थे ।तो उसमें से कुछ हमारे जीवन के यह हादसे नजर आए।हां, हम उसे हादसे से कहेगे।आज की तारीख में परम्परा गत समाज की नजर में हम क्या है?हमारा जीवन क्या है?
बस, लिखते रहे?क्या कर लिया?!लेकिन हमारी लकीर पर कोई तो चलेगा।
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