जनतंत्र यानी की 'डोर टू डोर सर्विस' . यह नहीँ कि 'जन' को
विधायक,सांसद आदि जब जरुरत है लेकिन वह ढूढता रह जाए और उसका काम न हो
पाए . जनतंत्र मेँ 'जन' मालिक है व जनप्रतिनिधि सेवक . मतदान मेँ
प्रतिशत गिरावट का कारण मतदाता की तंत्र , नेताओँ व अधिकारियोँ प्रति
असंतोष है लेकिन यही असंतोष जनतंत्र मेँ बदलाव का कारण भी हो सकता है.यदि
इस असंतोष के खिलाफ मतदाता एक जुट होकर अपने प्रत्याशी स्वयं चुयनित कर
चुनाव मेँ उतारता है ..जाति मजहब के नाम पर ध्रूवीकृत न होकर समाज व देश
के लिए वोट करे ....
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जय मानवता !
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संस्थापक <
manavatahitaysevasamiti,u.p.>
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