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बुधवार, 21 मई 2025

मेरी एक पुस्तक ' संगणकेश ..?! ' का एक अंश :: अशोकबिन्दु

पुस्तक : संगणकेश ..?! लेखक :: अशोक कुमार वर्मा 'बिंदु'
सीरिया से महिलाओं बच्चों की एक टोली हथियारों से सज्ज आगे पूर्व की ओर बढ़ती जा रही थी। जिसमें कोई भी पुरुष न था। एक ओर किसी भू भाग पर भयानक जंगल के बीच एक बुजुर्ग बांस के बाड़ेबंदी के बीच एक टीले पर आंख बंद बैठे हुए था। कुछ स्त्रियां उसके समीप बैठी हुई थीं। महिलाओं बच्चों की उस टोली ने भी हथियार छिपा कर वहां रुकना पसन्द किया। चार औरतें चारों दिशाओं में पेड़ पर चढ़ कर सुरक्षा को तैनात हो गयी थीं। भोजन …पानी …?! बच्चों की दशा देख कर कुछ महिलाओं ने आगे जाने की सोंची। यहां रुकने से क्या फायदा ?यहां तो ये आंख बंद कर बैठा है? लगभग छह सात लोग ही बचे जिनमें कोई बालक या बालिका न थी सबके सब विभिन्न उम्र की औरतें थीं। लगभग पंद्रह दिन बाद उनमें से दो बुजुर्ग, एक अधेड़ व एक युवा औरत रुकी रह गयी थीं। शेष सब चली गईं। यहां रुकने से क्या फायदा ? संगणक जो व्यवस्था है, वह नेचर व ब्रह्मण्ड में भी चेतना के एक स्तर पर है। यहाँ तक कि वह हर प्राणी - वनस्पति के अंदर भी है। वह है तो उसके होने का कारण भी है।वह कारण ही संगणकेश है। जब हम जीवन के इस पड़ाव रोटी कपड़ा मकान, इंद्रियों, देह आकर्षण, देह सुख दुःख आदि में ही अपना मन व वक्त लाये रखे, अपना सोंच व नजरिया लगाये रक्खे तो हमारा मन ,वक्त, सोंच आगे चेतना स्तर, अन्तस् ऊर्जा स्तर, आत्मा स्तर पर और उससे आगे अनन्त यात्रा है, स्वयम्भू, स्वतः की दशा की ओर कैसे जाये? चलो ठीक है, वर्तमान ही जीवन है।इसका मतलब यह नहीं कि हमारा वर्तमान दुनियाबी चीजों, बनावटी चीजों, जाति मजहब, देह, इंद्रियों तक सीमित रह जाये?अपने लिए जीने ,अपनेपन में जीने का मतलब क्या है?अपने देह, अपनी आत्मा की स्वयम्भू व्यवस्था, शाश्वत व्यवस्था ,स्वतः व्यवस्था से दूर ही रह जाना, इस बाबजूद कि हम उसके काफी नजदीक हैं। धमाके की आवाजें तेज थीं। आसमान पर लड़ाकू विमान नजर आ रहे थे। अनेक गांव पुरुषों से विहीन हो गये थे। बच्चों, बुजुर्गों, स्त्रियों की संख्या ज्यादा हो चली थी। इस बीच जंगल में यह बुजुर्ग?! आंख खोलने पर भी दुनिया में क्या समाधान?दुनिया के जकड़े बैठे लोगों का हाल क्या है? अब ये स्त्रियां, बच्चे ..?! जाति मजहब , मतभेद,पूंजीवाद, निरी भौतिकता ,लोभ लालच, माफिया गिरी, नशा व्यापार आदि आदि उसका परिणाम क्या ?समाज ,धर्म, राजनीति का ठेकेदार किस भूमिका में ? गांव का प्रधान, नगर का प्रधान किस भूमिका में?गांव देवता-गांव देवी, नगर देवता-नगर देवी क्या चाहती हैं ?इन्हें क्या पता ? उसका अहसास तो उसके पास ही होगा जो अंतर्मुखी है, अपने आत्मा तन्त्र, ब्रह्मण्ड चेतना तन्त्र के अहसास में है। संगणकेश व्यवस्था भी क्या है?चेतना जगत में विभिन्न स्तरों पर व्यवस्था क्या है? जो चित्रगुप्त है, यम तंत्र का राज है, यम राज है, ब्रह्मा, विष्णु महेश आदि हैं वे किस चेतना स्तर पर हैं? आखिरी..?! आखिर विष्णु जी का अवतार कल्कि महाराज ?!आखिरी ..?!आखिरी क्यों?!