शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

जन जन अन्ना की आवाज!

मीडिया के माध्यम से जन जन तक अन्ऩा की आवाज पहुंच कर जन जन के दर्दों को उकेर राजनेताओं के खिलाफ एक बुलन्द आक्रोश बनती जा रही है.जिस तरह भक्ति दक्षिण से आकर यहाँ आन्दोलित हो गयी थी,इसी तरह अब दक्षिण से अन्ना हजारे के रुप मेँ बदलाव की एक लहर दिल्ली आकर पूरे देश को आन्दोलित कर रही है.जो विकराल रुप धारण कर केन्द्र सरकार का तख्ता भी पलट सकती है.देश के अन्दर हर तहसील व जनपद स्तर पर अन्ना के समर्थन में आवाज तेज होती जा रही है लेकिन हमेँ दुख है इन समर्थकों में मुस्लिम जनता क्यों नहीं नजर आ रही है,एक दो लोगों के अलावा?मुसलमान का अर्थ होता है,अपने ईमान पर जो पक्का है.क्या उनके ईमान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना शामिल नहीं है?


खैर....!


कल मैं अपने पैत्रक जनपद शाहजहांपुर में अन्ना के समर्थन हो रहे कार्यक्रम में शामिल हुआ.पढ़ा लिखा युवा जो जरा सा भी देश के प्रति लगाव रखता है,उसे अन्ना हजारे प्रभावित कर रहें लेकिन अफसोस कि अब भी लोग यह नजरिया रखते हैं कि अन्ना हजारे की जीत से क्या फायदा?ऐसे लोग जब क्रिकेट मैच देखने के लिए टीबी से चिपके रहते हैं व इण्डिया की जीत पर आतिशबाजी व मिठाई बांटने का काम करते हैं तो क्या फायदा ?हमें विचार करना चाहिए अन्ना हजारे की सफलता में सारे देश की सफलता छिपी है.


देखा जाए तो अन्ना हजारे पूरे देश के आम आदमी की कुप्रबन्धन के खिलाफ भड़ास हेतु एक माध्यम बन चुके हैं.जो अन्ना हजारे का समर्थन कर अपनी भड़ास भी निकाल लेना चाहते है.भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार,शोषण पर शोषण,अन्याय पर अन्याय.....आखिर खामोशी कब तक ?




आने वाले अगले दस वर्ष दुनिया मेँ काफी परिवर्तनशील हैं.ऐसे में जो जाग गया तो ठीक,नहीं तो फिर उसका खुदा ही मालिक.


सचिन तेन्दुलकर,अमिताभ बच्चन,आदि कहाँ?बहुराष्ट्रिय कम्पनियों की बुनी चादर को ओढ़े सो गये का ?हम जैसे का पागल हैं,जब से अन्ना दिल्ली में अनशन पर हैं हम अन्ना के समर्थन में इण्टरनेट व ब्लागिंग के माध्यम से रात में भी वैचारिक क्रान्ति में लगे हैं और दिन मेँ लोगों से मिल कर अन्ना पर बात कर रहे हैं.

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