बुधवार, 23 जून 2021

धर्मांतरण(मतांतरण) पर एक झलक::अशोकबिन्दु

 हमारी नजर में किसी का धर्म अंतरण हो ही नहीं सकता। मानव की पहचान मानवता है।मानवता ही उसका धर्म है।यह तो मानव का भ्रम है कि मानवता के अलावा अन्य कोई उसका धर्म है।हमारी नजर में मानव का धर्म मानवता ही है। 


धर्मांतरण के लिए होने वाले मिशन को ध्वस्त होना जरूरी है।ये भारत की कमजोरी है कि भारतीय समाज अंदर ही अंदर पन्द्रहवीं सदी से इसको सह रहा है।पूंजीपति, माफिया, लोभी सत्ता भोगी आदि इसको नजर अंदाज करते रहे। हिन्दू समाज में भी एक तबका कभी सभ्य होने के नाते, कभी स्मार्ट होने के नाते ,कभी जीवन के लिए संसाधन जुटाने के लिए अपनी संस्कृति व भारतीयता में जहर घोलने वाले मीठे स्वाद को चखते रहे हैं।देश के अंदर हजारों मिशनरीज काम कर रही हैं। जो देश 500-600 वर्षों से धर्मांतरण के हजारों अभियान झेल रहा है।उन अभियानों के जनक देश एक उस #ओशो को नहीं झेल पाए जो सिर्फ अकेले सिर्फ अकेले उन देशों में जनता को उद्वेलित कर बैठा।वहां के अनेक नागरिकों का नामकरण संस्कार ही संस्कृत निष्ठ होने पर पादरी आदि ओशो पर बौखला पड़े। भविष्य में ओशो की विश्व यात्रा विश्व की आधुनिक धर्म इतिहास की महान घटना होगी। अमेरिका में ओशो को जेल के सलाखों के पीछे होना पड़ा।उन्हें थैलियम की बूंदे पिलाई गयी। किसी ने कहा है कि जो भारत सैकड़ो सालों से हजारों धर्मांतरण की मिशनरियों को झेल रहा है ,वे देश भारत के एक उस व्यक्ति को झेल नहीं पाया जिसके पीछे पीछे पूरी की पूरी जनता आ खड़ी होती थी। विश्व विशेष कर पश्चिम ने भी कम नहीं झेला है जबर्दस्ती धर्मांतरण व धर्म युद्ध को। यहूदी, पारसी आदि इसका प्रमाण है।


ये अफसोस कि बात है कि धर्म व मजहब के नाम पर अपना खेमा ,समूह,समाज बढ़ाने के लिए हिंसा, जबरदस्ती, प्रलोभन, षड्यंत्र आदि किये जाते है। आचार्य चतुर सेन का तो कहना है कि दुनिया में सबसे अधिक पाप तो धर्म व ईश्वर के नाम पर हुए हैं। जिसमें अपराध, माफिया, लोभ-लालच, सत्तावाद, पुरोहितवाद, जन्मजात उच्चवाद, जन्मजात निम्नवाद  आदि का बड़े सुंदर ढंग से धार्मिककरण,मजहबीकरण हुआ है।सन्तों व साधुओ, महापुरुषों ,अवतारों, पैगम्बरों आदि का भी मजहबीकरण,जातीयकरण हुआ है।ऐसे में विलखती ,चीत्कार करती मानवता पर किसी को दया नहीं आयी है। अफ़सोस है हमें कि इंसान को इंसान मानने की ही परम्परा खत्म हो गयी। जन्मजात निम्न व उच्च मानने की परंपरा शुरू हुई।अनेक की तो स्थिति न ही सम्मान जनक मरने की स्थिति न ही सम्मानजनक जीने की स्थिति न ही पन्थ परिवर्तन की स्थिति। यह भी सत्य है कि अनेक लोगों को पन्थ परिवर्तन से रोजगार, स्वास्थ्य, जीवन साथी मिला है।


पन्द्रहवीं सदी से यूरोप के लिए भारत की खोज काफी महत्वपूर्ण थी। उस समय पॉप का आदेश था -पुर्तगाल अन्य भूमि खोजने व उस भूमि से व्यापार व राज्य करने को स्वतंत्र है इस शर्त सहित कि उस भूमि पर ईसाइयत का प्रचार होगा। योरोप के सभी देशों के शिक्षा का उद्देश्य था-दुनिया के दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में जाकर युवक युवतियों को  बसना और अस्पताल व स्कूल के माध्यम से मतांतरण में लगना। भारत का जन मानस जिसे नीच ,अछूत मान कर देखना तक नहीं चाहता था। उन्हें उन युवक युवतियों ने स्वीकारा।मेलों कुचेलों को स्वयं ही नह वाना, कपड़े पहनना, इलाज करवाना, शिक्षा देना आदि स्वीकारा। शिक्षा प्राप्त करने के बाद अनेक युवक युवतियों ने अपनी जवानी अपने धर्म(पन्थ) के प्रचार प्रसार में लगा दी।वहीं इस्लाम ने तलवार व जबरदस्ती का सहारा लिया। 


दुनिया भर में पुरातत्व क्या कहता है?दुनिया के तमाम देशों में खण्डहरों के इतिहास क्या संकेत करते हैं? भारत में नौ महीना नालंदा विश्व विद्यालय का पुस्तकालय जलता रहा। महाभारत के युद्ध के बाद बचा खुचा ज्ञान खो दिया। इसके बाद अब फिर ज्ञान व व्यवस्था का ऑनलाइन में बदलाव हो रहा है ,एक दिन सब कुछ ध्वस्त कर देगा। पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रशेखर आजाद ने कहा था-हर मनुष्य में अनेक सम्भावनाएं है।उनको अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा है?भारत के ही हर नागरिक को परमाणु बम की तरह क्यों नहीं बना देते। एक राष्ट्र को तय करना ही चाहिए कि हमें कैसे नगरिक चाहिए? उसके लिए कठोर फैसले लेने होने।बजट को उल्टा करना होगा।शिक्षा को व्यवहारिक, व्यवसायिक, आचरणात्मक बनाना होगा।अंक तालिका व्यवस्था को समाप्त करना होगा। विद्यालयों को बहुउद्देश्यीय व  रोजगार परख के साथ साथ सभी विभागों से संबद्ध करना होगा।


हम तो उस सन्त परम्परा को स्वीकार करते हैं जो मानव व मानव समाज  को  जाति - मजहब से परे हो अनुशासन, मानवता, सेवा,उदारता, शोषणबिरोधी, अन्याय विरोधी ,आध्यत्म, शिल्प कलाओं ,लघु उद्योगों, हर घर  को एक उद्योग व योग केंद्र  आदि से स्थापित करे।


24जून 2021::


सन्त कबीर दास जयंती!! सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि- 

"सन्त कबीर की आज के समय में प्रासंगिकता"- विषय पर निबंध लिख कर व्हाट्सएप नम्बर पर लिख कर भेजने। या भाषण देते 09मिनट का अपना वीडियों या पोस्टर बना कर उसका फोटो खींच कर भेजे। 


 आधार::


इस धरती पर कोई समस्या नहीं है।समस्या मानव व समाज में है। हमारे समाज के ठेकेदार, पण्डित मौलबी,नेता आदि सारे मानव समाज को मानवता की प्रेरणा देने में असमर्थ हैं। वे इंसान को इंसान मानने की परम्परा को आगे न बड़ा ,जीवन की असलियत को आगे न रख कर मानव समाज को जाति-मजहब आदि में ही बांट कर रखना चाहते हैं।हमारा दिल दिमाग, हाड़मांस शरीर व उसकी आवश्यकताएं व उसके लिए प्रबन्धन के लिए जातिवाद, मजहब वाद ,धर्म स्थलवाद आदि की आवश्यकता नहीं है ।ऐसे में अब भी सन्त कबीर के ज्ञान की आवश्यकता है।



 #अशोक कुमार वर्मा बिन्दु   





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