शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

तुम्हारे ग्रंथ ही तुम्हारे खिलाफ हमारे हथियार हैं::अशोकबिन्दु

 तुम्हारे ग्रंथ ही हमारे हथियार हैं, तुम्हारे आराध्य की वाणियां ही हमारा हथियार हैं, तुम्हारे महापुरुष ही हमारा चरित्र है!...............अशोकबिन्दु



दुनिया में कहीं कोई समस्या नहीं है।समस्या है-मानव समाज में।मानव समाज मानव समाज होने के लिए कभी आतुर नहीं हुआ।वह जाति, पन्थ, मजहब, देश, विदेश, भाषा, अमीर गरीब आदि में बंटा रहा और इंसानियत, विश्व बंधुत्व, अध्यात्म के लिए अबसर नहीं दिया। प्रकृति संरक्षण को अवसर न दिया।


मानव समाज की विकृतियों,  अंधविश्वास, कुरीतियों आदि के खिलाफ संघर्ष में तुम्हारे ग्रन्थ ही सहायक है।जिन्हें ताख में सजा कर रखा गया है लेकिन उन पर चिंतन मनन नहीं किया गया।महापुरुष की वाणियां ही काफी है,जिन पर चिंतन मनन न कर नजरिया को नहीं तौला गया।


मानव समाज का सबसे बड़ा अफसोस यही है कि समाज मेँ ज्ञान या ग्रंथों के आधार पर जातीय, मजहबी रंग से निकल कर आचरण में नहीं लाया गया।विचार, भावनाएं, आस्था कोई जाति मजहब का मोहताज नहीं है। उसके अनेक स्तर हो सकते है लेकिन वे जातीय व मजहबी नहीं।


समाज में सबसे बड़ा कलंक शिक्षित व्यक्ति है, समाज को जकड़ा बैठा तन्त्र है। जिसे आचरण में ज्ञान से मतलब नहीं।










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