बुधवार, 10 अप्रैल 2019

सामजिकता में सब श्रेष्ठ नहीं!!!#अशोकबिन्दु

सामजिकता में सब श्रेष्ठ नहीं लेकिन इंसानियत में सब श्रेष्ठ है!!! #अशोकबिन्दु !!!
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सामजिकता में हम लोभ,लालच, चापलूसी, चाटुकारिता, जातिवाद,  छुआ छूत, अज्ञानता, भेद, द्वेष , बदले की भावना आदि को फलते फूलते देखते हैं लेकिन न्याय,मानवता, कानून व्यवस्था, सेवा भाव, ज्ञान, प्रेम ,ईमानदारी आदि को नहीं!!!सामजिकता में सब श्रेष्ठ नहीं है.इंसानियत में सब महाश्रेष्ठ है.



    इस धरती पर सबसे बड़ी बुराई है -जो प्राणी इंसान कहा जाता है उसमें इंसानियत नहीं है...सबसे बड़ी अच्छाई है - जो धन दौलत, जाति,मजहब, कृत्रिम तन्त्र, सामजिकता आदि में अपनी कोई औकात नहीं रखता लेकिन मानवता, प्रेम, ज्ञान, सद्भावना,अन्तस्थ यात्रा, सूक्ष्म जगत  आदि में अपनी औकात बढ़ाने के प्रयत्न में है..


        भक्त सुदामा अपनी गरीबी हालत को भी मालिक की याद में तटस्थ हो जीते है.किसी राजा के राज्याश्रित नहीं होते.. भक्त मीरा कुलमर्यादा ,लोकलज्जा आदि की चिंता नहीं करती. ईसामसीह, सुकरात, मोहम्मद साहब आदि के समय के नायक इतिहास में खलनायक बन जाते हैं.



   सामजिकता मे हमने अनाथ एक लड़की को भटकते देखा है.सामजिकता ही एक स्त्री को वैश्या बनाती. सामजिकता के चौराहे पर हमने बालाओं, स्त्रियों की इज्जत आबरू  को तार तार होते देखा है.सामाजिकता की चमक में विधवाओं, स्त्रियों के अपने सहयोगियों के साथ आने जाने, व्यवहार करने आदि पर बदनामी, कुनजर आदि देखी है..गली मे लोगों पर कूड़ा फेंकने वाली औरत की बीमारी पर मोहम्मद साहब की मानवता ही काम आती है.एक अंगुलिमान को सामजिकता के शिक्षक ,दबंग, तन्त्र आदि सुधार नहीं पाते वरन बुद्ध की मानवता उसे सुधरती है.
समाज में शिक्षक, नेता, पुलिस, धर्म ठेकेदार आदि माफियाओं, अज्ञानियों आदि के सम्मान में ईमानदार, ज्ञानी, कानूनी आदि की धज्जियां उड़ाते देखे गए हैं..
#समजिकताकेदंश

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