OM-AMIN
------Original message------
From: akvashokbindu@gmail.com <akvashokbindu@gmail.com>
To: "go@blogger.com" <go@blogger.com>
Date: बुधवार, 19 अक्तूबर, 2011 2:46:43 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: जेहाद (सुप्रबंधन) के पथ पर मुसलमान ....?!<www.vedquran.blogspot.com>
दुनिया मेँ दो ही जातियां हैँ -सज्जन और दुर्जन.जो अपने (स्व)के ईमान पर पक्का है वही वास्तव मेँ सज्जन.मुसलमान का अर्थ है जो स्व के ईमान पर पक्का है.स्व का अर्थ होता है आत्मा या परमात्मा.जो सिर्फ अपनेशरीर,इन्द्रियों,परिवार,जाति,पंथ,आदि के लिए ही जीना चाहता है;वह धार्मिक व महापुरुषों का अनुयायी नहीं माना जा सकता.सन 2011ई0 से विभिन्न देशोँ मेँ स्थितियाँ परिवर्तन के लिए लालायित हैँ.दुनियां के असंतुष्ट गरीब आदि को एक जुट कर उन्हें व्यवस्था परिवर्तन के लिए प्रत्येक देश जाति पंथ आदि से महापुरुषोँ को चाहिए जो आपस मेँ एक डोर से बंधे होँ.वह डोर कौन सी हो सकती है?सड़क व विभिन्न संस्थाओं मेँ इन्सान को इन्सान की दृष्टि से देख कर इन्सानियत व पर्यावर्ण के हित मेँ कदम उठाने होंगे.इन्सान को उसके तथाकथित जाति मजहब देश आदि से जोड़ कर न देख सिर्फ इन्सान की दृष्टि से देख जातिवादी मजहबवादी देशवादी आदि के आधार पर आवश्यकताओं से निकल कर आम आदमी की आवश्यकताओं व समस्याओं को देखना पड़ेगा.इसके लिए प्रत्येक इन्सान को अपने घर से बाहर निकल कर इंसानियत की दृष्टि से अपना नजरिया बनाना पड़ेगा.गरीबी के खिलाफ एक जुट होना पड़े
----------
मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें