शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

आज की धार्मिकता व आध्��ात्मिकता के दंश!

एक मंत्री जी पर अनेक आपराधिक आरोप हैं,और अनेक बार जेल भी जा चुके है.एक पार्टी उनका समर्थन व एक पार्टी उनका पक्ष लेती है.ऐसे ही अन्य और भी हैं जिन पर लोक आयुक्त ने भी आरोप तय किए हैँ.इन विधायकों ,मंत्रियों ,आदि के सम्बन्ध राजनैतिक पार्टियों व अपराधियों से रहते हैं.जब से लोकपाल विधेयक पर चर्चा चली है,मैं इनकी जाति व समर्थकों से पूछता हूँ कि आपके नेता जी पर तो अनेक आरोप बनते है.अभी तक तो आप नेता जी के समर्थन में भीड़ इकट्ठी करते नजर आ रहे हैँ,अब लोकपाल विधेयक लागू होने पर आपके नेता जी तो फंसे फंसाये हैं.तब भी क्या आप थाने कचहरी के बाहर अपने नेता जी के समर्थन में नारेबाजी व तोड़ फोड़ करते नजर आयेंगे?

अभी तक हाँ हजूरी, चापलूसी ,आदि कर अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकते आये हो?आपने व आपके नेता जी ने अन्ना जी के समर्थन या विरोध में कोई आचरण क्यों न किया?आप तो भाई बड़े हितैषी हैं ,न जाने क्या क्या लिखवाते हो बैनरों व पम्पलेटों मेँ?



अपने को कृष्ण भक्त या कृष्ण वंशी मानने वाले तक अपने स्वार्थ के लिए तो अपने क्षत्रियत्व का प्रदर्शन करते नजर आते हैं लेकिन समाज व देश के हित में भींगी बिल्ली बन जाते हैं.अफसोस ऐसे लोगों में वे लोग भी शामिल हैं जो अपने को ठाकुर या क्षत्रिय जाति का मानते हैं.यहां तक यह क्षत्रिय होने बावजूद अपराधियों को आश्रय देते हैँ.इन दिनों अन्ना हजारे के आन्दोलन के दौरान मैने महसूस किया जो समाज मे सीधेसाधे ,शान्त व कायर टाइप के व्यक्ति माने जाते हैं ;वे तक अन्ना हजारे के समर्थन में कुछ करगुजरने की तमन्ना रखते पाये गये और रोज मर्रे की जिन्दगी मेँ दबंगयी दिखाने वाले व सीना तान कर चलने वाले अन्ना के आन्दोलन में कहीं कहीं चर्चा करते तक नजर न आये.ऐसे में हमे कुछ पौराणिक वृतान्त भी सच होते नजर आये कि जो सन्त स्वभाव के लोग दुनिया में तटस्थ हो जिन्दगी जी रहे थे किसी देवी या देवता या अवतार के आने पर सक्रिय होगये. लेकिन धर्म व अध्यात्म के नाम पर ढोंग व मनमानी करने वाले तब भी सत्यान्दोलन के विरोधी थे अब भी विरोधी हैं.निज स्वार्थ में पूंजीवाद व सत्तावाद के कठपुतली हैं.अधर्म का नाश हो,धर्म की विजय हो का जयघोष लगाने वाले आम जिन्दगी में विभिन्न बहाने बना अधर्म को ही पोषित करते हैं.बड़ी ऊंची ऊंची हाँकने वाले तथा ज्ञान को सिर्फ अपने भौतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने वाले ज्ञान को आचरण मे उतारने वाले युधिष्ठिरों की खिल्ली उड़ाते हैं.

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