कहावत है कि घड़ा कभी न कभी भरता ही है.
भारत के शुभेच्छुओं क्या देश के कुप्रबन्धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलन्द नहीं होना चाहिए?यह सोंच कब खत्म होगी कि भगत सिह अन्य घर मे पैदा हो लेकिन हमारे घर मे नही.भगत सिंह नहीँ तो कबीर नानक दयानन्द आदि अपने घर मे पैदा होने की आस तो रखो.क्या कहा यह भी नहीं?
छोंड़ो,अन्ना हजारे ,राम देव बाबा का संदेश
घर घर पहुंचाने का काम करो.
अन्ना हजारे जिस जन लोकपाल विधेयक को पास कराना चाहते हैं,उस माध्र्यम से ही देश की नेताशाही व नौकरशाही को ठीक किया जा सकता है. इसको ताकतवर बनाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के नेतृत्व में आमरण अनशन प्रारम्भ हो चुका है. भ्रष्टाचार में व्यापक भागीदारी वाले मंत्री और नौकरशाह कभी भी स्वैच्छिक रुप से किसी भी ऐसे कानून को नहीं बनाएँगे जिससे उन पर ही फंदा कस जाए.
जन लोकपाल विधेयक के प्रमुख बिन्दु हैं-भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली सीवीआई के हिस्से को इस लोकपाल में शामिल कर दिया जाना चाहिए,सीवीसी और विभिन्न विभागों में कार्यरत विजिलेंस विंग्स का लोकपाल में विलय कर दिया जाना चाहिए.लोकपाल सरकार से एकदम स्वतंत्र होगा.नौकरशाह ,राजनेता और जजों पर इनका अधिकार क्षेत्र होगा.बगैर किसी एजेंसी की अनुमति के ही कोई जांच शुरु करने का इसे अधिकार होगा.विसलब्लोआर को संरक्षण प्रदान करेगा,आदि.
देश के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक एक ऐसा विधेयक है जिसे कानून बना कर भ्रष्टाचार को समूल खत्म किया जा सकता है.इसकी जांच के दायरे में प्रधानमंत्री भी शामिल रहेगा.इस विधेयक में बगैर किसी की अनुमति लोकपाल द्वारा किसी भी जांच को को शुरु करने का,भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा का भी प्रावधान है.
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