[20/10, 1:21 p.m.]
Ashok Kumar Verma"bindu":
बांध क्यों लिया तुमने खुद को शरहदों में?
हाड़ मास के परे जरा समझो तो जीवन को,
तुम प्रेम जिसे कहती,आकर्षण जिसे कहती --
जानो तो उसके मूल स्रोत को!!
कृष को समझो तो,
जहां से आये तरंगों को--
तुमने जो कह डाला प्रेम,
उसको क्यों सीमेट दिया-- हाड़ मास में!
#कबीरापुण्य
Ashok Kumar Verma"bindu":
बांध क्यों लिया तुमने खुद को शरहदों में?
हाड़ मास के परे जरा समझो तो जीवन को,
तुम प्रेम जिसे कहती,आकर्षण जिसे कहती --
जानो तो उसके मूल स्रोत को!!
कृष को समझो तो,
जहां से आये तरंगों को--
तुमने जो कह डाला प्रेम,
उसको क्यों सीमेट दिया-- हाड़ मास में!
#कबीरापुण्य