love व sex में अंतर होता है .love व्यक्ति को महान बनाता है.love में अपनी इच्छाएं खत्म हो जाती हैं.सामने वाले की इच्छाएं महत्वपूर्ण हो जाती हैं.
love उदासियाँ नहीं लाता,महान गुणों को विकसित करता है.हो जैसा है उसे वैसा स्वीकार करना ही love है.समर्पण ही love है.love में व्यक्ति अपनी इच्छाऐ सामने वाले पर थोपता नहीं.आज कल की love कथाएँ sex कथाएँ हैं.प्रेमवान व्यक्ति उदार होने लगता है.वह बदले की भावना नही रखता..........शेष फिर......
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ashok kumar verma "bindu"