शनिवार, 12 अप्रैल 2014

'कोई नहीँ पसंद' का बटन क्योँ न दबायें..?

अन्ना आन्दोलन की एक देन है - नोटा.'कोई पसंद नही' का बटन दबाने
से क्या फायदा ? शिक्षक तक इसका उद्देश्य नहीँ समझते?हमेँ भी कोई पसंद
नहीँ.

(1)ये नेता क्योँ सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु पर से रहस्य के पर्दे उठाने
का कार्य नहीँ करवा रहे?

(2) चुनावी घोषणापत्र स्टाम्पपत्रोँ पर होना चाहिए .

(3)भारत का नाम अंग्रेजी मेँ INDIA के स्थान पर BHARAT रखने की वकालत क्योँ नहीँ?

(4)किसानोँ को अपनी उपज की कीमत स्वयं निर्धारित करने की स्वतंत्रता क्योँ नहीँ?


(5)न्याय व्यवस्था व विभिन्ऩ चयन प्रक्रिया मेँ नारको परीक्षण अनिवार्य क्योँ नहीँ?

(6)देखने मेँ आता है 90प्रतिशत से अधिक दहेज प्रकरण झूठे होते हैँ ऐसे
मेँ प्रशासन बेबस क्योँ.?

(7)हम गरीबी रैखा मेँ नहीँ तो इससे क्या,?हम अपने व अपने परिवार को
अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य व परिवरिश आदि मुहैया नहीँ करा सकते .ऐसे मेँ
सरकारेँ हमारे लिए क्या कर सकती हैँ?

(8)विभिन्न विभागोँ मेँ सम्बंधित प्रशिक्षित बेरोजगारोँ को मानदेय देकर
सेवा मेँ क्योँ नहीँ लिया जा सकता?


(9)जो नागरिक कानून व्यवस्था ईमानदारी व महापुरुषों की वाणियोँ आदि के
अनुरुप तर्क के आधार पर चलने को तैयार है लेकिन उनकोँ परिवार संस्था व
समाज मेँ उपेक्षा व अन्याय का शिकार होना पडता है .शासन प्रशासन उनको
संरक्षण क्योँ नहीँ दे सकता?

(10)जाति भावना विरोध संविधान विरुद्ध है क्या?यदि नहीँ तो जाति भावना
विरोधी अभियानोँ को शासन प्रशासन का सहयोग क्योँ नहीँ?

(11)संसाधन व आय वितरण श्रम आधारित होना चाहिए न कि पूँजी जाति मजहब आदि
के आधार पर?

(12)सड़क पर जाति मजहबी आचरणोँ पर रोक लगनी चाहिए ?

(13)सरकारी कर्मचारियोँ अध्यापकोँ को अपने बच्चोँ को सिर्फ सरकारी
स्कूलोँ मेँ पढ़ाने की अनुमति होना चाहिए .

(14)शरहदेँ आम आदमी के लिए खोली जानी चाहिए.

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हमारे मन की किसकी सरकार ,
कोई नेता नहीं हमार ..
चाहेँ हो कोई दल बल,
कौन चाहे हमारा संग?

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संस्थापक <
manavatahitaysevasamiti,u.p.>

जाति , मजहब व धर्मस्थलोँ को तोड़ौ ?

वर्तमान मेँ सभी समस्याओँ की जड़ है - अज्ञानता. हमने अपने ज्ञान से
अनुभव किया है कि हम व जगत के दो अंश हैँ - प्रकृतिअंश व ब्रह्मांश.
जिसकी कोई जाति , मजहब व धर्मस्थल नहीँ. यदि हमेँ अपना भला करना है तो
हमे अपने इन दोनोँ अंशोँ का सम्मान करना होगा. निर्जीव वस्तुओँ व
व्यवस्थाओँ के लिए इन दोनोँ अंशोँ का अपमान काफिरोँ का कार्य है.


उठो जागो . काफिरोँ को कुचलो .. लोभ काम धर्म के दुश्मन हैँ . हमेँ
जरुरत है ऐसे मो ..गजनबियोँ की जो तथाकथित धर्मस्थलोँ को लृट कर गरीबोँ
के लिए आर्थिक ढांचा खड़ा कर सके .
www.antaryahoo.blogspot.com

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